उद्योगों में स्मार्ट मीटर और बढ़ते बिजली बिलों पर केजीसीसीआई की गहन चर्चा 

दिनांक: 27 सितम्बर, 2025

कुमाऊँ गढ़वाल चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री (केजीसीसीआई) द्वारा चैम्बर हाउस, काशीपुर में उद्योगों के समक्ष आ रही बिजली से सम्बन्धित विभिन्न समस्याओं पर विस्तृत चर्चा हेतु एक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक का संचालन चैम्बर के महासचिव, श्री नितिन अग्रवाल द्वारा किया गया।

बैठक में उपस्थित उद्योगपतियों द्वारा अवगत कराया गया कि जब से उद्योगों में यूपीसीएल द्वारा स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं, तब से उन्हें बहुत अधिक धनराशि के बिल प्राप्त हो रहे हैं। एक तो यूपीसीएल द्वारा नियमित विद्युत मूल्यों में निरन्तर बढ़ोत्तरी की जा रही है और उसके ऊपर से न चाहत हुए भी उनके परिसर में स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें वास्तविक विद्युत खपत से कहीं ज्यादा धनराशि का भुगतान करना पड़ रहा है।

स्मार्ट मीटर लगाने से पूर्व यूपीसीएल के अधिकारियों द्वारा आयोजित की गई बैठकों में स्मार्ट मीटर में विभिन्न सुविधाओं वाई गई थी। साथ ही यह भी बताया गया था कि स्मार्ट मीटर लगाने से उद्योगों के बिजली बिलों को धनराशि वर्तमान मीटरों की अपेक्षा कम आएगी।

स्मार्ट मीटरों के लगने से न केवल उद्योगों को अपितु आम जनमानस को भी बिजली बिलों के मद में प्रतिमाह अतिरिक्त धनराशि जमा करनी पड़ रही है एवं उन्हें अत्यधिक आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। केजीसीसीआई द्वारा यूपीसीएल के अधिकारियों को इस सम्बन्ध में अवगत कराने एवं उनके परिसर द्वारा व्यक्तिगत रूप से शिकायत दर्ज कराने के बाद भी विभाग इस दिशा में कोई सार्थक कार्रवाई नहीं की जा रही है।

बैठक में केजीसीसीआई की पावर सब-कमेटी के चेयरमैन, श्री शाकिल अहमद सिद्दीकी द्वारा अवगत कराया गया कि विद्युत विभाग द्वारा विद्युत उपभोक्ताओं को 9 श्रेणियों में विभाजित किया गया है। श्रेणियों के अनुसार विद्युत दरों का निर्धारण किया जाता है। इनमें से उद्योग आरटीएस-5 श्रेणी के अन्तर्गत आते हैं जिन पर सबसे ज्यादा विद्युत दरों का निर्धारण किया जाता है।

उन्होंने यह भी अवगत कराया कि विद्युत विभाग द्वारा दिन-रात व 24 घण्टे के समय को भी तीन श्रेणियों – नॉर्मल, पीक और ऑफ पीक – में विभाजित किया गया है एवं प्रत्येक अवधि में अलग-अलग विद्युत का अलग-अलग मूल्य निर्धारण किया गया है।

उन्होंने बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों को सुझाव दिया कि आप स्वयं व अपने तरीके से बिजली की खपत का आकलन कर सही पता लगा पाएंगे कि स्मार्ट मीटर की रीडिंग और उद्योगों की वास्तविक विद्युत खपत में कितना अंतर है?

उन्होंने कहा कि पहले उद्योगों के बिजली के बिल मासिक आधार पर आते थे लेकिन चैम्बर के प्रयासों से उन्हें पखवाड़े आधार पर कर दिया गया ताकि उद्योगों द्वारा जमा की जाने वाली सिक्योरिटी राशि को कम किया जा सके। इसके बाद उद्योगों को सिक्योरिटी राशि 45 दिन की मानी जाएगी जो कि पहले 60 दिन की सिक्योरिटी राशि जमा करायी जाती थी। इसमें भी चैम्बर द्वारा प्रयास किया जा रहा है कि इस राशि को 30 दिन की करा लिया जाए।

श्री सिद्दीकी द्वारा बैठक में उपस्थित सदस्यों को सुझाव दिया गया कि बिजली के मामलों में सुसंगत जानकारी एवं सावधानी रखना नितांत आवश्यक है अन्यथा उपभोक्ताओं को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

विभिन्न सदस्यों द्वारा अपने उद्योगों से सम्बन्धित समस्याएं उठाई गईं जिनका श्री शाकिल अहमद सिद्दीकी द्वारा मौके पर ही समाधान किया गया तथा विभागीय स्तर पर कार्यवाही की सुस्पष्ट जानकारी उपलब्ध करायी गयी।

बैठक में श्री पुनीत सिन्हा, श्री संजना अग्रवाल, श्री बी बी श्रीवास्तव, श्री अरविन्द मोहन सिंह, श्री सचिन कुमार तिवारी, श्री सुभाष पांडेय, अरुण अग्रवाल, शलभ अग्रवाल, अनिल कुमार, मनोज अग्रवाल, मनोज जोशी, चन्द्रकांत सिंह, मनीष मेहरोत्रा, नवीन यादव, नन्दन यादव, अशोक गर्ग, उमाशंकर सिंह, अमर कुमार, मुकुल राज गोयल, आलोक सक्सेना, संजीव अग्रवाल, राजिव रस्तोगी, गौरव चौहान, विश्वविजय दास, सुमित कुमार, पीयूष जैन, प्रतीक, हिना तिवारी, पंकज बिट्ट, मनमोहिनी मद, सरोज अग्रवाल आदि अन्य सदस्य उपस्थित थे।