
दिनाँक: 16.10.2025
कुमायूँ गढ़वाल चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री (केजीसीसीआई) के अध्यक्ष, श्री पवन अग्रवाल द्वारा अवगत कराया गया कि आज दिनाँक 16 अक्टूबर, 2025 को देहरादून में सचिवालय भवन के मुख्य सचिव कार्यालय के सभागार में शासन द्वारा ‘‘उत्तराखण्ड राज्य के औद्योगिक विकास’’ पर आधारित एक अत्यन्त उपयोगी बैठक का आयोजन किया गया। यह बैठक भारत सरकार की सचिव, सुश्री मीता राजीव लोचन, आई.ए.एस. की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक का उद्देश्य ‘‘नियमन में ढील (Deregulation) और व्यवसाय करने में आसानी (Ease of doing Business) से सम्बन्धित मुद्दों को समझना था।
उक्त बैठक में केजीसीसीआई अध्यक्ष, श्री पवन अग्रवाल द्वारा उत्तराखण्ड राज्य में उद्योगों को सस्ती दरों पर निर्बाध विद्युतापूर्ति सुनिश्चित करने, उद्योगों के समक्ष आ रही प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड से सम्बन्धित समस्याएं, श्रम विभाग से सम्बन्धित समस्याएं, राज्य में उद्योग एवं किसानों के हित में उत्तर प्रदेश की भाँति मण्डी शुल्क का निर्धारण किए जाने, सीडा से नक्शा पास कराने में आ रही व्यवहारिक परेशानियों के बारे में अवगत कराया गया।
श्री पवन अग्रवाल ने कहा कि विनियमन शिथिलीकरण प्रकोष्ठ (Deregulation Cell) की स्थापना भारत सरकार के कैबिनेट सचिवालय के अन्तर्गत की गयी है, जिसका उद्देश्य राज्यों की सहायता करना है ताकि वे नियमों और प्रक्रियाओं में सुधार एवं सरलीकरण कर सकें- विशेष रूप से उन प्राथमिक क्षेत्रों में जिन्हें Ease of Doing Business (व्यवसाय सुगमता) से सम्बन्धित के रूप में चिन्हित किया गया है। इसमें उत्तराखण्ड राज्य भी शामिल किया गया है।

इसके लिए भारत सरकार द्वारा एक कार्यबल गठित किया गया है जिसका नेतृम्व सुश्री मीता राजीवलोचन, आई.ए.एस., सचिव, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, भारत सरकार द्वारा किया जा रहा है। इस बैठक का उद्देश्य उत्तराखण्ड राज्य में एक अधिक प्रभावी और पारदर्शी व्यवसायिक परिवेश बनाने हेतु उद्योग संगठनों एवं राज्य सरकार से सुझाव आमन्त्रित करना था।
बैठक में श्री पवन अग्रवाल द्वारा राज्य में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने हेतु नियमन में ढील एवं व्यवसाय में सुगमता की दिशा में सुझाव दिए गए कि उद्योगों की स्थापना एवं विस्तारीकरण हेतु भू उपयोग परिवर्तन का कार्य एकल खिड़की प्रणाली के माध्यम से आॅनलाईन प्रक्रिया द्वारा किया जाना चाहिए। औद्योगिक क्षेत्रों में नामित उद्योगों के लिए भू उपयोग परिवर्तन के अनुमादन की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए तथा एमएमएमई को भू उपयोग परिवर्तन के मानदण्डों में छूट प्रदान की जानी चाहिए। श्रम बल में महिलाओं की उपस्थिति बढ़ाने तथा समुचित सुरक्षा के साथ महिलाओं को व्यवसायों में रात्रि पाली में नियोजित करने की अनुमति देनी चाहिए।
उन्होंने सुझाव दिया कि फैक्ट्री लाईसेंस के अनुमोदन एवं नवीनीकरण की प्रक्रिया को अधिक सरल किया जाना चाहिए। उद्योगों हेतु लागू विभिन्न कानूनों के अप्रचलित और अनावश्यक प्रावधानों को हटाया जाना चाहिए। गैर प्रदूषणकारी अर्थात सफेद श्रेणी के उद्योगों को स्थापित करने की सहमति एवं संचालित करने की सहमति के लिए पूर्व अनुमति लेने से छूट दी जानी चाहिए। राज्य के उद्योगों को निर्बाध विद्युतापूर्ति हेतु विद्युतापूर्ति के तन्त्र को सुदृढ़ किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बैठक में उपस्थित सभी विभागों के शीर्ष अधिकारियों द्वारा उनके सुझावों को ध्यानपूर्वक सुना गया तथा उन्हें भविष्य में लागू करने हेतु आश्वासन दिया गया।
इस अवसर पर श्री राहुल शर्मा (आई.ए.एस.), अपर सचिव, कैबिनेट सचिवालय, भारत सरकार, श्री सौरभ गहरवार, प्रबन्ध निदेशक, सिडकुल एवं महानिदेशक, उद्योग, उत्तराखण्ड, श्री वाई.एस. पुण्डीर, महाप्रबन्धक, सिडकुल मुख्यालय, देहरादून, प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड, उत्तराखण्ड पावर कॉर्पोरेशन लि0, श्रम विभाग तथा उद्योग विभाग के शीर्ष अधिकारी व अन्य उद्योग संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।



